Bihar Teacher Transfer News 2025, पटना बिहार: बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा शुरू की गई बड़ी तबादला प्रक्रिया में अब एक चौंकाने वाला मोड़ देखने को मिला है। राज्य के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत करीब 8000 शिक्षकों ने अपने स्थानांतरण (Transfer) आवेदन वापस ले लिए हैं, जिसके चलते अब ये शिक्षक अपने वर्तमान विद्यालय में ही पदस्थ बने रहेंगे।
क्या है पूरा मामला?
बिहार के शिक्षा विभाग ने इस वर्ष राज्यभर के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ऐच्छिक स्थानांतरण (Voluntary Transfer) का अवसर दिया था। इसके तहत ई-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन मंगवाए गए थे। इस पहल का उद्देश्य शिक्षकों को उनकी पसंद के अनुसार स्थानांतरित करना था ताकि वे बेहतर तरीके से अपनी सेवाएं दे सकें।
इस प्रक्रिया में करीब 1 लाख 90 हजार शिक्षकों ने आवेदन किया, जिनमें से 1.30 लाख शिक्षकों का तबादला किया गया। इसके बाद शिक्षा विभाग ने स्थानांतरण किए गए शिक्षकों को नए विद्यालय आवंटित करना शुरू किया।
क्यों वापस लिए गए इतने सारे आवेदन?
हालांकि स्थानांतरण प्रक्रिया को लेकर शिक्षकों में शुरुआत में काफी उत्साह देखा गया, लेकिन जैसे-जैसे विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया आगे बढ़ी, कई शिक्षकों ने अपने फैसले पर पुनर्विचार किया। इनमें से अनेक शिक्षक या तो नए स्थान से संतुष्ट नहीं थे या फिर निजी, पारिवारिक और सामाजिक कारणों से स्थानांतरण नहीं चाहते थे।
शिक्षा विभाग ने ऐसे शिक्षकों को एक और मौका दिया — यदि वे चाहें तो अपना आवेदन वापस ले सकते हैं। इसके लिए ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर ऑनलाइन विकल्प भी उपलब्ध कराया गया।
इस विकल्प का उपयोग करते हुए लगभग 8000 शिक्षकों ने अपना स्थानांतरण आवेदन वापस ले लिया, यानी वे अब अपने पुराने, वर्तमान विद्यालय में ही काम करते रहेंगे।
अब नहीं होगा इनका तबादला
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि जिन शिक्षकों ने आवेदन वापस ले लिया है, उनका तबादला रद्द कर दिया गया है। इसके साथ ही ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अब यह विकल्प बंद कर दिया गया है, यानी अब कोई और शिक्षक अपने आवेदन को वापस नहीं ले सकता।
30 जून तक है योगदान की अंतिम तारीख
विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षकों का स्थानांतरण हो चुका है और उन्होंने अपना आवेदन वापस नहीं लिया है, उन्हें 30 जून 2025 तक अपने नए विद्यालय में अनिवार्य रूप से योगदान देना होगा। जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEOs) को भी निर्देश दिया गया है कि वे आवंटित विद्यालयों में समय पर योगदान सुनिश्चित कराएं।
वर्तमान में 80 प्रतिशत से अधिक स्थानांतरित शिक्षकों को उनके नए विद्यालय आवंटित किए जा चुके हैं, और इनकी योगदान प्रक्रिया भी तेज़ी से चल रही है।
शिक्षकों की क्या है प्रतिक्रिया?
स्थानांतरण आवेदन वापस लेने वाले कई शिक्षकों का कहना है कि वे अपने पुराने विद्यालय में काम करने में सहज हैं। कुछ शिक्षकों ने कहा कि:
“नई जगह पर जाना हमारे परिवार के लिए व्यावहारिक नहीं था। हमने विभाग की ओर से मिले इस विकल्प का सही उपयोग किया।”
दूसरी ओर, कुछ शिक्षकों को उम्मीद थी कि उन्हें पसंदीदा स्थान मिलेगा, लेकिन जब वास्तविक विद्यालय आवंटन हुआ, तो वे उस स्थान से संतुष्ट नहीं थे।
शिक्षा विभाग का क्या है नजरिया?
शिक्षा विभाग का मानना है कि यह स्थानांतरण प्रक्रिया राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम है। विभाग ने पारदर्शिता के साथ प्रक्रिया को डिजिटल माध्यम से संचालित किया, और शिक्षकों की सुविधा को प्राथमिकता दी।
अब जबकि अंतिम चरण की ओर यह प्रक्रिया बढ़ चुकी है, विभाग का फोकस शिक्षकों के समय पर योगदान और विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था के सुचारू संचालन पर है।
निष्कर्ष (Conclusion)
बिहार में शिक्षा सुधार की दिशा में यह स्थानांतरण अभियान एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ है। हालांकि 8000 शिक्षकों द्वारा आवेदन वापस लेना एक अनपेक्षित मोड़ था, लेकिन यह विभाग की लचीली और शिक्षक-केंद्रित नीति का भी प्रमाण है। इससे न सिर्फ शिक्षकों की स्थिति में स्पष्टता आई है, बल्कि उन विद्यालयों को भी राहत मिली है जहां शिक्षक पहले से कार्यरत थे।
अब सभी की निगाहें 30 जून की अंतिम तिथि पर टिकी हैं, जब शेष स्थानांतरित शिक्षकों को अपने नए पदस्थापन पर योगदान देना होगा। शिक्षा विभाग की इस डिजिटल और मानवीय प्रक्रिया की जितनी सराहना की जाए, उतनी कम है।