Vijay Mallya: कैसे एक बिज़नेसमैन बना सबसे बड़ा भगोड़ा (पॉडकास्ट बयानों के साथ)

विजय माल्या का नाम कभी भारत के सबसे सफल उद्योगपतियों में लिया जाता था। शानदार जीवनशैली, किंगफिशर ब्रांड और IPL टीम RCB से लेकर विदेशी पार्टियों तक, उनका नाम “King of Good Times” से जोड़ा जाता था। लेकिन वही व्यक्ति आज भारत में भगोड़ा घोषित है। Vijay Mallya: कैसे एक बिज़नेसमैन बना सबसे बड़ा भगोड़ा

यह कहानी सिर्फ एक घोटाले की नहीं, बल्कि लालच, सिस्टम की कमजोरियों और एक इंसान की अपनी सच्चाई की है – जिसे हाल ही में उन्होंने खुद एक पॉडकास्ट में दुनिया के सामने रखा।


प्रारंभिक जीवन और शुरुआत

  • विजय माल्या का जन्म 1955 में पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में हुआ।

  • उनके पिता विट्ठल माल्या यूनाइटेड ब्रेवरीज ग्रुप के फाउंडर थे।

  • माल्या ने कोलकाता के सेंट ज़ेवियर कॉलेज से B.Com किया और 1983 में 28 की उम्र में ग्रुप के चेयरमैन बन गए।


किंगफिशर और बिज़नेस की बुलंदी

  • “Kingfisher” बियर और फिर “Kingfisher Airlines” की शुरुआत 2005 में की गई।

  • एयरलाइन को प्रीमियम सेवाओं के लिए जाना गया – लग्जरी सीट्स, फैशन शो जैसी ब्रांडिंग।

  • विजय माल्या ने खुद को एक ग्लैमरस बिज़नेसमैन के रूप में प्रस्तुत किया।


एयरलाइन डूबी, कर्ज चढ़ा

  • कंपनी लगातार घाटे में रही और 17 बैंकों से लगभग ₹9,000 करोड़ का लोन लिया गया।

  • 2012 में एयरलाइन बंद हो गई। हजारों कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला।

  • आरोप लगा कि कर्ज का पैसा निजी खर्चों में लगाया गया।


कानूनी शिकंजा और देश से भागना

  • भारत सरकार ने उन्हें “घोषित भगोड़ा आर्थिक अपराधी” कहा।

  • CBI और ED ने मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी में केस किया।

  • 2016 में वे चुपचाप भारत से लंदन चले गए। प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अब भी लंबित है।


पॉडकास्ट में उनका पक्ष – “मैं चोर नहीं हूं”

2024 में बिज़नेस यूट्यूबर राज शामानी के साथ विजय माल्या का एक पॉडकास्ट आया जो 4 घंटे लंबा था। इसमें उन्होंने खुद पर लगे आरोपों को सिरे से नकारा।

उन्होंने क्या कहा?

  • “मैंने कभी कोई पैसा नहीं चुराया, मैंने ₹14,000 करोड़ चुका दिए हैं।”

  • “मेरे ऊपर जो मूल कर्ज था वो ₹6,200 करोड़ का था।”

  • “मैं शिकार बना हूं राजनीति का।”

  • “किंगफिशर एयरलाइन की असफलता मेरी गलती नहीं, बल्कि गलत एविएशन पॉलिसी, टैक्स और सरकारी हस्तक्षेप था।”

हालांकि, सोशल मीडिया पर इस पॉडकास्ट को “इमेज धोने” की कोशिश भी बताया गया। कुछ ने इसे “Public Sympathy Strategy” कहा।


सच्चाई क्या है?

  • माल्या की बातों में कुछ तथ्य हैं – लेकिन बैंकों, कोर्ट और सरकारी जांच एजेंसियों के अनुसार अभी भी उन पर धोखाधड़ी के आरोप हैं।

  • भारत सरकार उनके प्रत्यर्पण की कानूनी प्रक्रिया में लगातार लगी हुई है।


क्या सिखने को मिला?

विजय माल्या की कहानी सिखाती है कि केवल पैसा और नाम नहीं, ईमानदारी और पारदर्शिता ही असली पूंजी है।
यह केस यह भी दिखाता है कि सिस्टम में किस तरह की चूकें करोड़ों रुपये का नुकसान करा सकती हैं।


निष्कर्ष

विजय माल्या का नाम अब भारत के इतिहास में उन लोगों की सूची में शामिल है, जिन्होंने देश के कानून से बचने की कोशिश की।
लेकिन उनका पॉडकास्ट यह भी दिखाता है कि हर कहानी के दो पहलू होते हैं — एक कोर्ट का और एक इंसान का।

अब फैसला आपको करना है — क्या वह सिर्फ एक गलती करने वाला इंसान है? या एक ऐसा अपराधी जिसने सिस्टम का फायदा उठाया?

कुछ जरूरी बातें

यह कहानी सिखाती है कि केवल पैसे और नाम नहीं, ईमानदारी और पारदर्शिता ही लंबे समय तक सफलता दिलाते हैं। विजय माल्या का जीवन एक उदाहरण है कि यदि नैतिकता कमजोर हो, तो बड़ी ऊंचाई भी ज़मीन पर गिर सकती है।


आपके लिए सवाल:

आप क्या सोचते हैं – विजय माल्या को भारत वापस लाया जाना चाहिए या नहीं?
कॉमेंट में अपनी राय ज़रूर बताएं।


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